Bajrang Baan: बजरंग बाण जय हनुमन्त सन्त हितकारी।

 Bajrang Baan: बजरंग बाण जय हनुमन्त सन्त हितकारी।

Bajrang_Baan


॥ दोहा ॥

निश्चय प्रेम प्रतीति ते,बिनय करै सनमान।

तेहि के कारज सकल शुभ,सिद्ध करै हनुमान॥


॥ चौपाई ॥

जय हनुमन्त सन्त हितकारी।सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी॥

जन के काज विलम्ब न कीजै।आतुर दौरि महा सुख दीजै॥

जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा।सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥

आगे जाय लंकिनी रोका।मारेहु लात गई सुर लोका॥

जाय विभीषण को सुख दीन्हा।सीता निरखि परम पद लीन्हा॥

बाग उजारि सिन्धु महं बोरा।अति आतुर यम कातर तोरा॥

अक्षय कुमार मारि संहारा।लूम लपेटि लंक को जारा॥

लाह समान लंक जरि गई।जय जय धुनि सुर पुर महं भई॥

अब विलम्ब केहि कारण स्वामी।कृपा करहुं उर अन्तर्यामी॥

जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता।आतुर होइ दु:ख करहुं निपाता॥

जय गिरिधर जय जय सुख सागर।सुर समूह समरथ भटनागर॥

ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्त हठीले।बैरिहिं मारू बज्र की कीले॥

गदा बज्र लै बैरिहिं मारो।महाराज प्रभु दास उबारो॥

ॐकार हुंकार महाप्रभु धावो।बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो॥

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमन्त कपीसा।ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा॥

सत्य होउ हरि शपथ पायके।रामदूत धरु मारु धाय के॥

जय जय जय हनुमन्त अगाधा।दु:ख पावत जन केहि अपराधा॥

पूजा जप तप नेम अचारा।नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥

वन उपवन मग गिरि गृह माहीं।तुमरे बल हम डरपत नाहीं॥

पाय परौं कर जोरि मनावों।यह अवसर अब केहि गोहरावों॥

जय अंजनि कुमार बलवन्ता।शंकर सुवन धीर हनुमन्ता॥

बदन कराल काल कुल घालक।राम सहाय सदा प्रतिपालक॥

भूत प्रेत पिशाच निशाचर।अग्नि बैताल काल मारीमर॥

इन्हें मारु तोहि शपथ राम की।राखु नाथ मरजाद नाम की॥

जनकसुता हरि दास कहावो।ताकी शपथ विलम्ब न लावो॥

जय जय जय धुनि होत अकाशा।सुमिरत होत दुसह दु:ख नाशा॥

चरण शरण करि जोरि मनावों।यहि अवसर अब केहि गोहरावों॥

उठु उठु चलु तोहिं राम दुहाई।पांय परौं कर जोरि मनाई॥

ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता।ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता॥

ॐ हं हं हांक देत कपि चञ्चल।ॐ सं सं सहम पराने खल दल॥

अपने जन को तुरत उबारो।सुमिरत होय आनन्द हमारो॥

यहि बजरंग बाण जेहि मारो।ताहि कहो फिर कौन उबारो॥

पाठ करै बजरंग बाण की।हनुमत रक्षा करै प्राण की॥

यह बजरंग बाण जो जापै।तेहि ते भूत प्रेत सब कांपे॥

धूप देय अरु जपै हमेशा।ताके तन नहिं रहे कलेशा॥


॥ दोहा ॥

प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै,सदा धरै उर ध्यान।

तेहि के कारज सकल शुभ,सिद्ध करै हनुमान॥

Top 10 Aarti Collection - Best Aarti Sangrah

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Aarti

Top 10 Aarti Collection or Aarti Sangrah:-

1. Ganesh aarti - Ganesh Ji ki Aarti - Ganpati Aarti


जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

2. Om Jai Jagdish Hare Aarti - Om Jai Jagdish

ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे, ॐ जय जगदीश हरे!

स्वामी जय जगदीश हरे भक्त ज़नो के संकट, दास ज़नो के संकट
क्षण में दूर करे ॐ जय जगदीश हरे!

जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिन से मन का स्वामी दुख बिन से मन का
सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे
कष्ट मिटे तन का ॐ जय जगदीश हरे!

मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी स्वामी शरण गहूं किसकी
तुम बिन और ना दूजा, तुम बिन और ना दूजा
आस करूँ जिसकी.ॐ जय जगदीश हरे!

तुम पूरण, परमात्मा तुम अंतरियामी, स्वामी तुम अंतरियामी
पार ब्रह्म परमेश्वर, पार ब्रह्म परमेश्वर
तुम सबके स्वामी ॐ जय जगदीश हरे!

तुम करुणा के सागर, तुम पालन करता स्वामी तुम पालन करता
मैं मूरख खलकामी मैं सेवक तुम स्वामी
कृपा करो भर्ता, ॐ जय जगदीश हरे!

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राण पति स्वामी सबके प्राण पति
किस विध मिलु दयामय, किस विध मिलु दयामय
तुम को मैं कुमति, ॐ जय जगदीश हरे!

दीन-बन्धु दुःख-हर्ता, ठाकुर तुम मेरे स्वामी रक्षक तुम मेरे
अपने हाथ उठाओ अपनी शरण लगाओ
द्वार पड़ा तेरे, ॐ जय जगदीश हरे!

विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा स्वामी पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
सन्तन की सेवा, ॐ जय जगदीश हरे!

ओम जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त ज़नो के संकट दास ज़नो के संकट
क्षण में दूर करे ॐ जय जगदीश हरे!

स्वामी जय जगदीश हरे भक्त ज़नो के संकट
दास जनो के संकट क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे!

3. Hanuman Ji ki Aarti - Hanuman Aarti

॥ श्री हनुमानस्तुति ॥

मनोजवं मारुत तुल्यवेगं, जितेन्द्रियं,बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।

वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं, श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥

॥ हनुमान जी की आरती ॥

आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरवर काँपे । रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥

अंजनि पुत्र महा बलदाई । संतन के प्रभु सदा सहाई ॥

दे वीरा रघुनाथ पठाए । लंका जारि सिया सुधि लाये ॥

लंका सो कोट समुद्र सी खाई । जात पवनसुत बार न लाई ॥

लंका जारि असुर संहारे । सियाराम जी के काज सँवारे ॥

लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे । लाये संजिवन प्राण उबारे ॥

पैठि पताल तोरि जाग कारे । अहिरावण की भुजा उखारे ॥

बाईं भुजा असुर संहारे । दाईं भुजा सब संत उबारें ॥

सुर नर मुनि जन आरती उतरें । जय जय जय हनुमान उचारें ॥

कचंन थाल कपूर की बाती । आरती करत अंजनी माई ॥

जो हनुमानजी की आरती गावे । बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥

लंक विध्वंस किये रघुराई । तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

4. Lakshmi Ji ki Aarti - Laxmi Aarti

आरती करने से पहले ये मंत्र बोलें - 

या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी: 
पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धि:।
श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा 
तां त्वां नता: स्म परिपालय देवि विश्वम्॥

लक्ष्मी जी की आरती -
 

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
           ॐ जय लक्ष्मी माता॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
           ॐ जय लक्ष्मी माता॥ 

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
           ॐ जय लक्ष्मी माता॥

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
            ॐ जय लक्ष्मी माता॥

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
           ॐ जय लक्ष्मी माता॥

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
           ॐ जय लक्ष्मी माता॥

शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
           ॐ जय लक्ष्मी माता॥

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
           ॐ जय लक्ष्मी माता॥

5. Aarti Kunj Bihari ki आरती कुंजबिहारी की

आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की...॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।
बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की...॥

जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की...॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की...॥

आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

6. Shivji ki Aarti - Shiv Aarti

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥

7. Sai Aarti - Sai Baba Aarti

ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे।
भक्तजनों के कारण, उनके कष्ट निवारण॥
शिरडी में अवतरे, ॐ जय साईं हरे॥ ॐ जय...॥

दुखियन के सब कष्टन काजे, शिरडी में प्रभु आप विराजे।
फूलों की गल माला राजे, कफनी, शैला सुन्दर साजे॥
कारज सब के करें, ॐ जय साईं हरे ॥ ॐ जय...॥

काकड़ आरत भक्तन गावें, गुरु शयन को चावड़ी जावें।
सब रोगों को उदी भगावे, गुरु फकीरा हमको भावे॥
भक्तन भक्ति करें, ॐ जय साईं हरे ॥ ॐ जय...॥

हिन्दु मुस्लिम सिक्ख इसाईं, बौद्ध जैन सब भाई भाई।
रक्षा करते बाबा साईं, शरण गहे जब द्वारिकामाई॥
अविरल धूनि जरे, ॐ जय साईं हरे ॥ ॐ जय...॥

भक्तों में प्रिय शामा भावे, हेमडजी से चरित लिखावे।
गुरुवार की संध्या आवे, शिव, साईं के दोहे गावे॥
अंखियन प्रेम झरे, ॐ जय साईं हरे ॥ ॐ जय...॥

ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे।
शिरडी साईं हरे, बाबा ॐ जय साईं हरे॥

श्री सद्गुरु साईंनाथ महाराज की जय॥

8. Santoshi Mata ki Aarti

जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता।
अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता ।।
जय सन्तोषी माता....

सुन्दर चीर सुनहरी मां धारण कीन्हो।
हीरा पन्ना दमके तन श्रृंगार लीन्हो ।।
जय सन्तोषी माता....

गेरू लाल छटा छबि बदन कमल सोहे।
मंद हंसत करुणामयी त्रिभुवन जन मोहे ।।
जय सन्तोषी माता....

स्वर्ण सिंहासन बैठी चंवर दुरे प्यारे।
धूप, दीप, मधु, मेवा, भोज धरे न्यारे।।
जय सन्तोषी माता....

गुड़ अरु चना परम प्रिय ता में संतोष कियो।
संतोषी कहलाई भक्तन वैभव दियो।।
जय सन्तोषी माता....

शुक्रवार प्रिय मानत आज दिवस सोही।
भक्त मंडली छाई कथा सुनत मोही।।
जय सन्तोषी माता....

मंदिर जग मग ज्योति मंगल ध्वनि छाई।
बिनय करें हम सेवक चरनन सिर नाई।।
जय सन्तोषी माता....

भक्ति भावमय पूजा अंगीकृत कीजै।
जो मन बसे हमारे इच्छित फल दीजै।।
जय सन्तोषी माता....

दुखी दारिद्री रोगी संकट मुक्त किए।
बहु धन धान्य भरे घर सुख सौभाग्य दिए।।
जय सन्तोषी माता....

ध्यान धरे जो तेरा वांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर घर आनन्द आयो।।
जय सन्तोषी माता....

चरण गहे की लज्जा रखियो जगदम्बे।
संकट तू ही निवारे दयामयी अम्बे।।
जय सन्तोषी माता....

सन्तोषी माता की आरती जो कोई जन गावे।
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति जी भर के पावे।।
जय सन्तोषी माता....

9. Durga Aarti - Amba ji Aarti in Hindi

ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुम को निशदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवरी. ॐ जय अम्बे…

मांग सिंदूर विराजत टीको मृगमद को
उज्जवल से दो नैना चन्द्र बदन नीको. ॐ जय अम्बे…

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजे
रक्त पुष्प दल माला कंठन पर साजे. ॐ जय अम्बे…

केहरि वाहन राजत खड़्ग खप्पर धारी
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुखहारी. ॐ जय अम्बे…

कानन कुण्डल शोभित नासग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर राजत सम ज्योति. ॐ जय अम्बे…

शुम्भ निशुम्भ विडारे महिषासुर धाती
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती. ॐ जय अम्बे…

चण्ड – मुंड संहारे सोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोऊ मारे सुर भयहीन करे.ॐ जय अम्बे…

ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी. ॐ जय अम्बे…

चौसठ योगिनी मंगल गावत नृत्य करत भैरु
बाजत ताल मृदंगा और बाजत डमरु. ॐ जय अम्बे…

तुम ही जग की माता तुम ही हो भर्ता
भक्तन की दुःख हरता सुख सम्पत्ति कर्ताॐ जय अम्बे…

भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी
मन वांछित फ़ल पावत सेवत नर-नारी. ॐ जय अम्बे…

कंचन थार विराजत अगर कपूर बाती
श्रीमालकेतु में राजत कोटि रत्न ज्योति. ॐ जय अम्बे…

श्री अम्बे जी की आरती जो कोई नर गावे
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपत्ति पावे. ॐ जय अम्बे…

10. Shani Dev ki Aarti शनि भगवान की आरती

ॐ जय जय शनि महाराज, स्वामी जय जय शनि महाराज।
कृपा करो हम दीन रंक पर, दुःख हरियो प्रभु आज ॥ॐ॥

सूरज के तुम बालक होकर, जग में बड़े बलवान ॥स्वामी॥
सब देवताओं में तुम्हारा, प्रथम मान है आज ॥ॐ॥1॥

विक्रमराज को हुआ घमण्ड फिर, अपने श्रेष्ठन का। स्वामी
चकनाचूर किया बुद्धि को, हिला दिया सरताज ॥ॐ॥2॥

प्रभु राम और पांडवजी को, भेज दिया बनवास। स्वामी
कृपा होय जब तुम्हारी स्वामी, बचाई उनकी लॉज ॥ॐ॥3॥

शुर-संत राजा हरीशचंद्र का, बेच दिया परिवार। स्वामी
पात्र हुए जब सत परीक्षा में, देकर धन और राज ॥ॐ॥4॥

गुरुनाथ को शिक्षा फाँसी की, मन के गरबन को। स्वामी
होश में लाया सवा कलाक में, फेरत निगाह राज ॥ॐ॥5॥

माखन चोर वो कृष्ण कन्हाइ, गैयन के रखवार। स्वामी
कलंक माथे का धोया उनका, खड़े रूप विराज ॥ॐ॥6॥

देखी लीला प्रभु आया चक्कर, तन को अब न सतावे। स्वामी
माया बंधन से कर दो हमें, भव सागर ज्ञानी राज ॥ॐ॥7॥

मैं हूँ दीन अनाथ अज्ञानी, भूल भई हमसे। स्वामी
क्षमा शांति दो नारायण को, प्रणाम लो महाराज ॥ॐ॥8॥

ॐ जय जय शनि महाराज, स्वामी जय-जय शनि महाराज।
कृपा करो हम दीन रंक पर, दुःख हरियो प्रभु आज॥ॐ॥

श्री गणेश आरती (Aarti Shree Ganesh Ji) - जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा

श्री गणेश आरती



श्री गणेश आरती - श्री गणेश आरती के बोल इस प्रकार है,गणपति की सेवा मंगल की सेवा Chant this very effective and powerful Shree Ganesh Ji ki Aarti in hindi and get Lord Ganesh Ji blessing.

श्री गणेश आरती Shree Ganesh Aarti in hindi:-


जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।


गणेश, जिसे गणपति और विनायक के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू पैंथियों में सबसे प्रसिद्ध और सबसे अधिक पूजे जाने वाले देवताओं में से एक है। एक हाथी के रूप में उनकी छवि पूरे भारत, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड, बाली (इंडोनेशिया) और बांग्लादेश और फिजी, मॉरीशस और त्रिनिदाद और टोबैगो सहित बड़ी जातीय भारतीय आबादी वाले देशों में पाई जाती है। 

हिंदू संप्रदाय संबद्धता की परवाह किए बिना उसकी पूजा करते हैं। गणेश की भक्ति व्यापक रूप से फैली हुई है और जैन और बौद्धों तक फैली हुई है।

यद्यपि वह कई विशेषताओं से जाना जाता है, गणेश के हाथी का सिर और उसका एक टूटा हुआ दांत उसे पहचानना आसान बनाता है। गणेश को व्यापक रूप से बाधाओं के निवारण, कला और विज्ञान के संरक्षक और बुद्धि और ज्ञान के देवता के रूप में माना जाता है। 

शुरुआत के देवता के रूप में, उन्हें संस्कार और समारोह की शुरुआत में सम्मानित किया जाता है। गणेश को पत्रों के संरक्षक और लेखन सत्र के दौरान सीखने के रूप में भी आमंत्रित किया जाता है। कई ग्रंथ उनके जन्म और कारनामों से जुड़े पौराणिक उपाख्यानों से संबंधित हैं।

ऋग्वेद के ब्राह्मणस्पति को गणेश का वैदिक प्रोटोटाइप माना जाता है। गणेश संभवत: 1 शताब्दी ईस्वी पूर्व के रूप में एक देवता के रूप में उभरे, लेकिन निश्चित रूप से 4 वीं और 5 वीं शताब्दी सीई द्वारा, गुप्त काल के दौरान, हालांकि उन्हें वैदिक और पूर्व-वैदिक पूर्वजों के लक्षण विरासत में मिले। 

हिंदू पौराणिक कथाएं उनकी पहचान शैव धर्म परंपरा के पार्वती और शिव के बहाल पुत्र के रूप में करती हैं, लेकिन वे इसकी विभिन्न परंपराओं में पाए जाने वाले एक हिंदू देवता हैं। हिंदू धर्म की गणपति परंपरा में, गणेश सर्वोच्च देवता हैं। 

गणेश पर प्रमुख ग्रंथों में गणेश पुराण, मुद्गल पुराण और गणपति अथर्वशीर्ष शामिल हैं। ब्रह्म पुराण और ब्रह्माण्ड पुराण अन्य दो पुराण शैली के विश्वकोश हैं जो गणेश से संबंधित हैं।


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Hariharan Shree Hanuman Chalisa in Hindi & English

Hanuman Chalisa in Hindi:-

Hanuman Chalisa
Hanuman Ji (Jai Shri Ram)











दोहा :

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

चौपाई :

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।

रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।

महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।

कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।

संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।

विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।

भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।

लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।

जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।

भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।

संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।

और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।

चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।

साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।

राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।

तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।

अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।

संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।

जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।

तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। 

दोहा :

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।


Also See:- Hanuman Ji Ki Aarti (हनुमानजी की आरती)

Hanuman Chalisa in English:-

Doha:-

shreeguru charan saroj raj, nij manu mukuru sudhaari.
baranoon raghubar bimal jasu, jo daayaku phal chaari.. 
buddhiheen tanu jaanike, sumiraun pavan-kumaar.
bal buddhi bidya dehu mohin, harahu kales bikaar..

Chaupaee:-

jay hanumaan gyaan gun saagar.
jay kapees tihun lok ujaagar..

raamadoot atulit bal dhaama.
anjani-putr pavanasut naama..

mahaabeer bikram bajarangee.
kumati nivaar sumati ke sangee..

kanchan baran biraaj subesa.
kaanan kundal kunchit kesa..

haath bajr au dhvaja biraajai.
kaandhe moonj janeoo saajai..

sankar suvan kesareenandan.
tej prataap maha jag bandan..

vidyaavaan gunee ati chaatur.
raam kaaj karibe ko aatur..

Prabhu charity sunibe ko rasiya.
Raam Lakhan Seeta man basiya.

sookshm roop dhari siyahin dikhaava.
bikat roop dhari lank jaraava..

bheem roop dhari asur sanhaare.
raamachandr ke kaaj sanvaare..

laay sajeevan lakhan jiyaaye.
shreeraghubeer harashi ur laaye..

raghupati keenhee bahut badaee.
tum mam priy bharatahi sam bhaee..

sahas badan tumharo jas gaavain.
as kahi shreepati kanth lagaavain..

sanakaadik brahmaadi muneesa.
naarad saarad sahit aheesa..

jam kuber digapaal jahaan te.
kabi kobid kahi sake kahaan te..

tum upakaar sugreevahin keenha.
raam milaay raaj pad deenha..

tumharo mantr bibheeshan maana.
lankesvar bhe sab jag jaana..

jug sahasr jojan par bhaanoo.
leelyo taahi madhur phal jaanoo..

prabhu mudrika meli mukh maaheen.
jaladhi laanghi gaye acharaj naaheen..

durgam kaaj jagat ke jete.
sugam anugrah tumhare tete..

raam duaare tum rakhavaare.
hot na aagya binu paisaare..

sab sukh lahai tumhaaree sarana.
tum rakshak kaahoo ko dar na..

aapan tej samhaaro aapai.
teenon lok haank ten kaampai..

bhoot pisaach nikat nahin aavai.
mahaabeer jab naam sunaavai..

naasai rog harai sab peera.
japat nirantar hanumat beera..

sankat ten hanumaan chhudaavai.
man kram bachan dhyaan jo laavai..

sab par raam tapasvee raaja.
tin ke kaaj sakal tum saaja.

aur manorath jo koee laavai.
soi amit jeevan phal paavai..

chaaron jug parataap tumhaara.
hai parasiddh jagat ujiyaara..

saadhu-sant ke tum rakhavaare.
asur nikandan raam dulaare..

asht siddhi nau nidhi ke daata.
as bar deen jaanakee maata..

raam rasaayan tumhare paasa.
sada raho raghupati ke daasa..

tumhare bhajan raam ko paavai.
janam-janam ke dukh bisaraavai..

antakaal raghubar pur jaee.
jahaan janm hari-bhakt kahaee..

aur devata chitt na dharee.
hanumat sei sarb sukh karee..

sankat katai mitai sab peera.
jo sumirai hanumat balabeera..

jai jai jai hanumaan gosaeen.
krpa karahu gurudev kee naeen..

jo sat baar paath kar koee.
chhootahi bandi maha sukh hoee..

jo yah padhai hanumaan chaaleesa.
hoy siddhi saakhee gaureesa..

tulaseedaas sada hari chera.
keejai naath hrday manh dera.. 

Doha :

pavan tanay sankat haran, mangal moorati roop.
raam lakhan seeta sahit, hrday basahu sur bhoop..


What is Aarti ? आरती क्या है ?

Aarti
Aarti (आरती)


Aarti (आरती) को 'आरात्रिक' अथवा 'आरार्तिक' और 'मनोरंजन' भी कहते हैं पूजा के अंतिम आरती की जाती है। पूजनमें जो त्रुटि रह जाती है, आरती से उसकी पूर्ति होती है। स्कन्दपुराणमें कहा गया है

मन्त्रहीनं क्रियाहीनं यत् कृतं पूजनं हरेः। 
सर्व सम्पूर्णतामेति कृते नीराजने शिवे॥

'पूजन मन्त्र हीन और क्रियाहीन होनेपर भी नीराजन (आरती) कर लेने से उसमें सारी पूर्णता आ जाती है।

आरती करने का ही नहीं, आरती देखने का भी बड़ा पुण्य लिखा है। हरि भक्ति विलास में एक श्लोक है

नीराजनं च यः पश्येद् देव देवस्य चक्रिणः । 
सप्तजन्मनि विप्रः स्यादन्ते च परमं पदम्॥

जो देव देव चक्रधारी श्री विष्णु भगवान की आरती (सदा) देखता है, वह सात जन्मो तक ब्राह्मण होकर अन्तमें परमपदको प्राप्त होता है।'

विष्णु धर्मोत्तर में आया है-

धूपं चारात्रिकं पश्येत् कराभ्यां च प्रवन्दते। 
कुल कोटि समुद्धृत्य याति विष्णोः परं पदम्॥ 

'जो धूप और Aarti (आरती) को देखता है और दोनों हाथों से आरती लेता है, वह करोड़ पीढ़ियोंका उद्धार करता है और भगवान विष्णु के परमपदको प्राप्त होता है।'

How to do Aarti?


आरती में पहले मूल मंत्र (जिस देवता का जिस मन्त्र से पूजन किया गया हो, उस मन्त्र) के द्वारा तीन बार पुष्पाञ्जलि देनी चाहिये और ढोल, नगारे, शंख, घड़ियाल आदि महावाद्योंके तथा जय-जयकारके शब्द के साथ शुभ पात्रमें घृतसे या कपूरसे विषम संख्या के अनेक बत्तियाँ जलाकर आरती करनी चाहिये--

ततश्च मूलमन्त्रेण दत्त्वा पुष्पांजलि त्रयम्। 
महानीराजनं कुर्यान्महावाद्यजयस्वनैः॥ 
प्रज्वल यत् तदर्थं च कपूरेण घृतेन वा। 
आरार्तिकं शुभे पात्रे विषमानेकवर्तिकम्॥

साधारण: पांच बत्तियों से आरती की जाती है, इसे 'पञ्च प्रदीप भी कहते हैं। एक, सात या उससे भी अधिक पत्तियों से आरती की जाती है। कपूरसे भी आरती होती है। पद्म पुराण में आया है

कुङ्कुम ा गुरु कर्पूर घृत चंदन निर्मित ाः 
वर्तिकाः सप्त वा पञ्च कृत्वा वा दीप वर्तिका॥
कुर्यात् सप्तप्रदीपेन शङ्खयण्टादिवाद्यकैः । 

कुङ्कुम, अगर, कपूर, घृत और चन्दनकी सात या पाँच बत्तियाँ बनाकर अथवा दियेकी (रूई और घी की) बत्तियाँ बनाकर सात बत्तियोंसे शङ्ख, घण्टा आदि बाजे बजाते हुए आरती करनी चाहिये।

' आरती के पाँच अंग होते हैं

पञ्च नीराजनं कुर्यात् प्रथमं दीपमाला। 
द्वितीयं सोदकाब्जेन तृतीयं धौतवाससा॥ 
चूताश्वत्थादिपत्रैश्च चतुर्थं परिकीर्तितम्।
पञ्चमं प्रणिपातेन साष्टाङ्गेन यथाविधि। 

प्रथम दीपमालाके द्वारा, दूसरे जलयुक्त शङ्ख, तीसरे धुले हुए वस्त्रसे, चौथे आम और पीपल आदि के पत्तों से और पाँचवें साष्टाङ्ग दण्डवत्से Aarti (आरती) करे।'

आरती उतारते समय सर्वप्रथम भगवान्की प्रतिमाके चरणोंमें उसे चार बार घुमाये, दो बार नाभि देश में, एक बार मुखमण्डलपर और सात बार समस्त अंगों पर घुमाया'

आदौ चतुः पादतले च विष्णो 
द्वौ नाभिदेशे मुखबिम्ब एकम्।
सर्वेषु चाङ्गेषु च सप्तवारा
नारात्रिकं भक्तजनस्तु कुर्यात्॥

How to Finish Aarti?


यथार्थमें Aarti (आरती) पूजन के अन्त में इष्टदेवताकी प्रसन्नता के हेतु की जाती है। इसमें इश्रदेव का दीपक दिखानेके साथ ही उनका स्तवन तथा गुणगान किया जाता है। आरती के दो भाव हैं जो क्रमशः 'नीराजन' और 'आरती' शब्द से व्यक्त हुए हैं।

नीराजन (निःशेषेण राजनं प्रकाशनम् ) का अर्थ है-विशेषरूपसे, नि:शेषरूपसे प्रकाशित करना। अनेक दीपक-बत्तियां जलाकर विग्रहके चारों ओर घुमानेका अभिप्राय यही है कि पूरा-का-पूरा विग्रह एड़ीसे चोटीतक प्रकाशित हो उठे चमक उठे, अङ्ग प्रत्यङ्ग स्पष्टरूपसे उद्भासित हो जाय, जिसमें दर्शक या उपासक भलीभांति देवता के रूप-छटा को निहार सके, हृदयंगम कर सके।

दूसरा ' आरती' शब्द (जो संस्कृत के आर्तिका प्राकृत रूप है और जिसका अर्थ है-अरिष्ट) विशेषतः माधुर्य-उपासना से सम्बन्धित है। आरती वारना' का अर्थ है-आती-निवारण, अनिष्टसे अपने प्रियतम प्रभुको बचाना। इस रूपमें यह एक तांत्रिक क्रिया है, जिससे प्रज्वलित दीपक अपने इष्टदेवके चारों ओर घुमाकर उनकी सारी विघ्न-बाधा टाली जाती है।

आरती लेनेसे भी यही तात्पर्य है- उनकी 'आर्ति' (कष्ट)-को अपने ऊपर लेना। बलैया लेना, बलिहारी जाना, बलि जाना, वारी जाना, न्योछावर होना आदि सभी प्रयोग इसी भावके द्योतक हैं। इसी रूपमें छोटे बच्चों की माता तथा बहिनें लोकमें भी आरती (या आरती उतारती हैं यह 'आरती' मूलरूपमें कुछ मन्त्र उच्चारण के साथ केवल कष्ट-निवारणके भावसे उतारी जाती रही होगी।

आजकल वैदिक-उपासनामें उसके साथ-साथ वैदिक मंत्रों का उच्चारण होता है तथा पौराणिक एवं तांत्रिक-उपासना में उसके साथ सुन्दर-सुन्दर भावपूर्ण पद्य-रचनाएँ गायी जाती हैं। ऋतु, पर्व, पूजाके समय आदि भेदोंसे भी Aarti (आरती) की जाती है।

Durga Ji ki Aarti (जय अम्बे गौरी मैया जय) - Bhagwankiaarti.com

Durga Ji ki Aarti (दुर्गा आरती)

Durga Ji ki Karti


जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति ।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥

मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥

केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी ।
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥

शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥

भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥

श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥

Durga Ji ki Aarti in Engish:-


jay ambe Gauri maiya jay mangal moorti .
tumako nishidin dhyaavat hari brahma shiv ree .tek.

maang sindoor biraajat teeko mrgamad ko .
ujjval se dou naina chandrabadan neeko .jay.

kanak samaan kalevar raktaambar raajai.
raktapushp gal maala kanthan par saajai .jay.

kehari vaahan raajat khadg khapparadhaaree .
sur-nar munijan sevat tinake duhkhahaaree .jay.

kaanan kundal shobhit naasaagre motee .
kotik chandr divaakar raajat samajyoti .jay.

shumbh nishumbh bidaare mahishaasur ghaatee .
dhoomr vilochan naina nishidin madamaatee .jay.

chaunsath yogini mangal gaavain nrty karat bhairoo.
baajat taal mrdanga aroo baajat damaroo .jay.

bhuja chaar ati shobhit khadg khapparadhaaree.
manavaanchhit phal paavat sevat nar naaree .jay.

kanchan thaal viraajat agar kapoor baatee .
shree maalaketu mein raajat koti ratan jyoti .jay.

shree ambejee kee aaratee jo koee nar gaavai .
kahat shivaanand svaamee sukh-sampatti paavai .jay.




Shiv Aarti - Shankar Ji Ki Aarti - Bhagwankiaarti.com

shiv aarti


जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥



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Shiv Aarti - Shankar Ji Ki Aarti in English


jay shiv omkara om jay shiv omkara .
brahma vishnu sada shiv arddhaangee dhaara . 
om jay shiv....

ekaanan chaturaanan panchaanan raaje .
hansaanan garudaasan vrshavaahan saaje . 
om jay shiv....

do bhuj chaar chaturbhuj das bhuj ati sohe.
trigun roopanirakhata tribhuvan jan mohe . 
om jay shiv....

akshamaala banamaala rundamaala dhaaree .
chandan mrgamad sohai bhaale shashidhaaree . 
om jay shiv....
shvetaambar peetaambar baaghambar ange .
sanakaadik garunaadik bhootaadik sange . 
om jay shiv....

kar ke madhy kamandalu chakr trishool dharta .
jagakarta jagabharta jagasanhaarakarta . 
om jay shiv....

Brahma Vishnu Sadashiv Janat Viveka.
pranavaakshar madhye ye teeno eka. 
om jay shiv...

kaashee mein vishvanaath viraajat nandee brahmachaaree .
nit uthi bhog lagaavat mahima ati bhaaree . 
om jay shiv....

trigun shivajeekee aaratee jo koee nar gaave .
kahat shivaanand svaamee manavaanchhit phal paave . 
om jay shiv....






shankar ji ki aarti



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Sai Baba Aarti - Sai Aarti - साईं आरती - Bhagwankiaarti.com

Sai Baba Aarti - श्री शिरडी साईं बाबा की आरती

Sai Baba Aarti


ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे।
भक्तजनों के कारण, उनके कष्ट निवारण॥
शिरडी में अवतरे, ॐ जय साईं हरे॥ ॐ जय...॥


दुखियन के सब कष्टन काजे, शिरडी में प्रभु आप विराजे।
फूलों की गल माला राजे, कफनी, शैला सुन्दर साजे॥
कारज सब के करें, ॐ जय साईं हरे ॥ ॐ जय...॥


काकड़ आरत भक्तन गावें, गुरु शयन को चावड़ी जावें।
सब रोगों को उदी भगावे, गुरु फकीरा हमको भावे॥
भक्तन भक्ति करें, ॐ जय साईं हरे ॥ ॐ जय...॥


हिन्दु मुस्लिम सिक्ख इसाईं, बौद्ध जैन सब भाई भाई।
रक्षा करते बाबा साईं, शरण गहे जब द्वारिकामाई॥
अविरल धूनि जरे, ॐ जय साईं हरे ॥ ॐ जय...॥


भक्तों में प्रिय शामा भावे, हेमडजी से चरित लिखावे।
गुरुवार की संध्या आवे, शिव, साईं के दोहे गावे॥
अंखियन प्रेम झरे, ॐ जय साईं हरे ॥ ॐ जय...॥


ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे।
शिरडी साईं हरे, बाबा ॐ जय साईं हरे॥
श्री सद्गुरु साईंनाथ महाराज की जय॥


Sai Aarti in English


Aarti SaiSai Baba, saukhyadaataara jeeva. 

Charana rajaatalee Dhyaava daasaan visaawaa, 

bhaktaa visaawaa. Aarti Sai Baba


Jaaluniyaan aananng swaswaroopee raahe dhanga

Mumukshu janaan daavee nija dolaan Sreeranga, 

dolaan Sreeranga Aarti Sai Baba


Jayaa manee jaisaa bhaava tayaa taisaa anubhava

Daawisee dayaaghanaa aisee tujzee hee,

maava tujzeeheemaava Aarti Sai Baba


Tumache naama dhyaataan hare sansrithi vyathaa

Agaadha tava karanee maarga daawisee anaadhaa,

daawisee anaadhaa Aarti Sai Baba


Kaliyugee avataara saguna parabrahm saachara

Avateerna jhaalase swami Datta digambara, 

Datta digambara Aarti Sai Baba


Aattan divasaan guruwaaree bhakta karitee waaree

Prabhupada pahaavayaa bhavabhaya niwaree, 

bhaya niwaree Aarti Sai Baba:


Maajan nija dravya tteewaa tav charan rajasevaa

Maagane hechiyaataa tumhan devaadhideva, 

Devaadhideva Aarti Sai Baba


Ichchita deena chaatak nirmala toya nijasookha

Paajaawe maadhavaa yaa saambhal aapulee bhaaka, 

aapulee bhaaka Aarti ..



Abhang


Shirdee maajze Pandharapura Saibaba Ramaavara
Baba Ramaavara, Sai Baba Ramaavara
Shuddha bhaktee chandrabhaabagaa, Bhaava pundaleeka jaagaa
pundaleeka jaagaa. Bhaava pundaleeka jaagaa
Yaa ho yaa ho avaghe jana karaa Babaansee vandana.
Saisi vandana karoo Babaansee vandana
Ganu mhane Baba Sayee. Dhaava paava maajze aayee
paava maajze aayee. Dhaava paava maajze aayee


Naman


Ghaaleen lotaangana vandeen charana Dolyanee paaheen roop tujze

Preme aalingana aanande poojin, Bhave oowaalina mhane Naamaa.

Tvameva maataa cha pitaa tvameva Tvameva bandhuscha sakhaa tvameva

Tvameva vidyaa dravinam tvameva, Tvameva servam mama Devadeva.

Kaayena vaachaa manasrendriyaiarwan Budhyatmanaa vaa prakriti swabhavaat

Karomi yadyatsakalam parasmai, Narayanaayeti samarpayaami

Acyutam Keshavam Raamanaaraayanam Krishnadaamodaram Vaasudevam Harim

Shreedharam Maadhavam Gopikaa Vallabham, Jaanakeenaayakam

Raamachandram Bhaje.

Hare Rama, Hare Rama. Rama Rama Hare Hare

Hare Krishna, Hare Krishna. Krishna Krishna Hare Hare. X3

Shri Gurudeva Datta.



Hanuman Ji Ki Aarti (हनुमानजी की आरती)



hanuman ji ki aarti

Hanuman Ji Ki Aarti (हनुमानजी की आरती)


आरती कीजै हनुमानलला की, दुष्टदलन रघुनाथ कला की।

जाके बल से गिरिवर कांपे, रोग दोष जाके निकट न झांपै।

अंजनिपुत्र महा बलदायी, संतन के प्रभु सदा सहाई।

दे बीरा रघुनाथ पठाये, लंका जारि सिया सुधि लाये।

लंका-सो कोट समुद्र-सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई।

लंका जारि असुर संहारे, सियारामजी के काज संवारे।

लक्ष्मण मूर्छित परे सकारे, आनि संजीवन प्रान उबारे।

पैठि पताल तोरि जम-कारे, अहिरावन की भुजा उखारे।

बाएं भुजा असुरदल मारे, दहिने भुजा सन्तजन तारे।

सुर नर मुनि आरती उतारे, जय जय जय हनुमान उचारे।

कंचन थार कपूर लौ छाई, आरति करत अंजना माई।

जो हनुमानजी की आरति गावै, बसि बैकुण्ठ परम पद पावै।


hanuman aarti

Hanuman Aarti - Jai hanuman aarti


aaratee keejai hanuman lala kee, 
dushtadalan raghunaath kala kee.

jaake bal se girivar kaampe, 
rog dosh jaake nikat na jhaampai.

anjaniputr maha baladaayee, 
santan ke prabhu sada sahaee.

de beera raghunaath pathaaye, 
lanka jaari siya sudhi laaye.

lanka-so kot samudr-see khaee, 
jaat pavanasut baar na laee.

lanka jaari asur sanhaare, 
siyaaraamajee ke kaaj sanvaare.

lakshman moorchhit pare sakaare, 
aani sanjeevan praan ubaare.

paithi pataal tori jam-kaare, 
ahiraavan kee bhuja ukhaare.

baen bhuja asuradal maare, 
dahine bhuja santajan taare.

sur nar muni aaratee utaare, 
jay jay jay hanumaan uchaare.

Kanchan thaar Kapoor Lau chhaee, 
aarti karat Anjana maai.

jo hanumaanajee kee aarati gaavai, 
basi baikunth param pad paavai.


hanuman chalisa



Lata Mangeshkar Aarti Hanuman Ji Ki




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Om Jai Jagdish Hare | Vishnu Bhagwan ki Aarti | ॐ जय जगदीश

vishnu bhagwan ki aarti


Om Jai Jagdish Hate Aarti 

ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे ॐ जय जगदीश हरे
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त ज़नो के संकट, दास ज़नो के संकट
क्षण में दूर करेॐ जय जगदीश हरे

जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिन से मन का
स्वामी दुख बिन से मन का
सुख सम्पति घर आवे सुख सम्पति घर आवे
कष्ट मिटे तन का ॐ जय जगदीश हरे

मात पिता तुम मेरे शरण गहूं किसकी
स्वामी शरण गहूं किसकी
तुम बिन और ना दूजा तुम बिन और ना दूजा
आस करूँ जिसकी ॐ जय जगदीश हरे

तुम पूरण, परमात्मा तुम अंतरियामी
स्वामी तुम अंतरियामी
पार ब्रह्म परमेश्वर पार ब्रह्म परमेश्वर
तुम सबके स्वामी ॐ जय जगदीश हरे

तुम करुणा के सागर तुम पालन करता
स्वामी तुम पालन करता
मैं मूरख खलकामी मैं सेवक तुम स्वामी
कृपा करो भर्ता ॐ जय जगदीश हरे

तुम हो एक अगोचर सबके प्राण पति
स्वामी सबके प्राण पति
किस विध मिलु दयामय किस विध मिलु दयामय
तुम को मैं कुमति ॐ जय जगदीश हरे

दीन-बन्धु दुःख-हर्ता ठाकुर तुम मेरे
स्वामी रक्षक तुम मेरे
अपने हाथ उठाओ अपनी शरण लगाओ
द्वार पड़ा तेरे ॐ जय जगदीश हरे

विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा
स्वामी पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
सन्तन की सेवा ॐ जय जगदीश हरे

ओम जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त ज़नो के संकट दास ज़नो के संकट
क्षण में दूर करे ॐ जय जगदीश हरे

स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त ज़नो के संकट दास जनो के संकट
क्षण में दूर करे ॐ जय जगदीश हरे


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Om Jai Jagdish Hare Aarti- Vishnu Bhagwan ki Aarti


om jay jagadeesh hare
svaamee jay jagadeesh hare
bhakt janon ke sankat, daas janon ke sankat
shan mein door kare
om jay jagadeesh hare
om jay jagadeesh hare
svaamee jay jagadeesh hare
bhakt zano ke sankat, daas zano ke sankat
shan mein door kare
om jay jagadeesh hare
jo dhyaave phal paave, duhkh bin se man ka
svaamee dukh bin se man ka
sukh sampati ghar aave
sukh sampati ghar aave
kast mite tanka
om jay Jagadeesh har
maat pita tum mere
Sharan gahoon kisakee
svaamee sharan gahoon kisakee
tum bin aur na dooja
tum bin aur na dooja
aas karoon jisakee
om jay jagadeesh hare
tum pooran, paramaatma
tum antariyaamee
svaamee tum antariyaamee
paar brahm parameshvar
paar brahm parameshvar
tum sabake svaamee
om jay jagadeesh hare
tum karuna ke saagar
tum paalan karata
svaamee tum paalan karata
main moorakh khalakaamee
main sevak tum svaamee
krpa karo bharta
om jay jagadeesh hare
tum ho ek agochar
sabake praan pati
svaamee sabake praan pati
kis vidh milu dayaamay
kis vidh milu dayaamay
tum ko main kumati
om jay jagadeesh hare
deen-bandhu duhkh-harta
Thakur tum mere
svaamee rakshak tum mere
apane hath uthao
apanee sharan lagao
dvaar pada tere
om jay jagadeesh hare
vishay-vikaar mitao, paap haro deva
svaamee paap haro deva
shraddha bhakti badhao
shraddha bhakti badhao
santan kee seva
om jay jagadeesh hare
om jay jagadeesh hare
svaamee jay jagadeesh hare
bhakt zano ke sankat
daas zano ke sankat
kshan mein door kare
om jay jagadeesh hare
om jay jagadeesh hare
svaamee jay jagadeesh hare
bhakt zano ke sankat
daas jano ke sankat
kshan mein door kare
om jay jagadeesh hare

Navratri Ki Aarti - Navratri 2020 - Nav Durga Ki Aarti - नवरात्रि


Navratri Ki Aarti


Sharad Navratri Dates 2020 - Navratri Ki Aarti 

17 Oct 2020: First day of Navratri, Prathama, Maa Shailputri Puja Ghatasthapana.

18 Oct 2020: Second day of Navratri, Dwitiya, Bahmacharini worship.

19 Oct 2020: Third day of Navratri, Tritiya, Chandraghanta Pujan.

20 Oct 2020: Fourth day of Navratri, Chaturthi, Kushmanda worship.

21 Oct 2020: The fifth day of Navratri, Panchami, Skandmata Pujan.

22 Oct 2020: Sixth day of Navratri, Shashthi, Katyayani Pujan...

23 Oct 2020: Seventh day of Navratri, Saptami, Kalratri Pujan

24 Oct 2020: Eighth day of Navratri, MahaGauri Puja

25 Oct 2020: The ninth day of Navratri, Navami, Siddhidarti Pujan, Kanya Pujan, Navami Havan

26 Oct 2020: The 10th day of Navratri, Dashami, Durga Visarjan


1. Maa Shailputri Aarti / Puja:-


Maa Shailputri aarti

शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार। 

शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी। 

पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे। 

ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू। 

सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी। 

उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो। 

घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के। 

श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं। 

जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे। 

मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।




2. Maa Bahmacharini Aarti:-

Navratri 2020

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।ज्ञान सभी को सिखलाती हो।

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।

कमी कोई रहने न पाए।कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।जो ​तेरी महिमा को जाने।

रुद्राक्ष की माला ले कर।जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।मां तुम उसको सुख पहुंचाना।

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।रखना लाज मेरी महतारी।




3. Maa Chandraghanta Aarti:-


Maa Chandraghanta aarti

नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान।मस्तक पर है अर्ध चन्द्र, मंद मंद मुस्कान॥

दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खडग संग बांद।घंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्राण॥

सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके सवर्ण शरीर।करती विपदा शान्ति हरे भक्त की पीर॥

मधुर वाणी को बोल कर सब को देती ग्यान।जितने देवी देवता सभी करें सम्मान॥

अपने शांत सवभाव से सबका करती ध्यान।भव सागर में फसा हूं मैं, करो मेरा कल्याण॥

नवरात्रों की मां, कृपा कर दो मां।जय माँ चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा॥

मां चंद्रघंटा का मंत्र:-

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥




4. Maa Kushmanda Aarti:-




Navratri Ki Aarti

चौथा जब नवरात्र हो, कुष्मांडा को ध्याते।
जिसने रचा ब्रह्माण्ड यह, पूजन है

आध्शक्ति कहते जिन्हें, अष्टभुजी है रूप।
इस शक्ति के तेज से कहीं छाव कही धुप॥

कुम्हड़े की बलि करती है तांत्रिक से स्वीकार।
पेठे से भी रीज्ती सात्विक करे विचार॥

क्रोधित जब हो जाए यह उल्टा करे व्यवहार।
उसको रखती दूर माँ, पीड़ा देती अपार॥

सूर्य चन्द्र की रौशनी यह जग में फैलाए।
शरणागत की मैं आया तू ही राह दिखाए॥

नवरात्रों की माँ कृपा करदो माँ।
नवरात्रों की माँ कृपा करदो माँ॥

जय माँ कुष्मांडा मैया।
जय माँ कुष्मांडा मैया॥


माँ कुष्मांडा मंत्र:-

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

शुभ रंग: आम का रंग (आम रंग) 



5.  Maa Skandmata Aarti:-


Maa Skandmata Aarti 2020

जय तेरी हो स्कंद माता
पांचवा नाम तुम्हारा आता
सब के मन की जानन हारी
जग जननी सब की महतारी
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं
हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं
कई नामो से तुझे पुकारा
मुझे एक है तेरा सहारा
कहीं पहाड़ों पर है डेरा
कई शहरों में तेरा बसेरा
हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये
तेरे भगत प्यारे भगति
अपनी मुझे दिला दो शक्ति
मेरी बिगड़ी बना दो
इन्दर आदी देवता मिल सारे
करे पुकार तुम्हारे द्वारे
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये
तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आई
‘चमन’ की आस पुजाने आई



6. Katyani Mata ki aarti:-


katyani mata ki aarti

Katyani mata ki aarti (कात्यायिनी माता की आरती)

जय जय अम्बे जय कात्यानी

जय जगमाता जग की महारानी

बैजनाथ स्थान तुम्हारा

वहा वरदाती नाम पुकारा

कई नाम है कई धाम है

यह स्थान भी तो सुखधाम है

हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी

कही योगेश्वरी महिमा न्यारी

हर जगह उत्सव होते रहते

हर मंदिर में भगत है कहते

कत्यानी रक्षक काया की

ग्रंथि काटे मोह माया की

झूठे मोह से छुडाने वाली

अपना नाम जपाने वाली

ब्रह्स्पतिवार को पूजा करिए

ध्यान कात्यानी का धरिये

हर संकट को दूर करेगी

भंडारे भरपूर करेगी

जो भी माँ को 'चमन' पुकारे

कात्यानी सब कष्ट निवारे।



7. Kalratri Mata Aarti:-



Kalratri mata Aarti

कालरात्रि जय-जय महाकाली ।
काल के मुंह से बचानेवाली ।।

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा ।
महाचंडी तेरा अवतारा ।।

पृथ्वी और आकाश पे सारा ।
महाकाली है तेरा पसारा ।।

खड्ग खप्पर रखनेवाली ।
दुष्टों का लहू चखनेवाली ।।

कलकत्ता स्थान तुम्हारा ।
सब जगह देखूं तेरा नजारा ।।

सभी देवता सब नर-नारी ।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी ।।

रक्तदंता और अन्नपूर्णा ।
कृपा करे तो कोई भी दुख ना ।।

ना कोई चिंता रहे बीमारी ।
ना कोई गम ना संकट भारी ।।

उस पर कभी कष्ट ना आवे ।
महाकाली मां जिसे बचावे ।।

तू भी भक्त प्रेम से कह ।
कालरात्रि मां तेरी जय ।। 

8. Mahagauri Aarti(महागौरी):-


mahagauri Navratri Ki Aarti


जय महागौरी जगत की माया ।
जया उमा भवानी जय महामाया ।।

हरिद्वार कनखल के पासा ।
महागौरी तेरा वहां निवासा ।।

चंद्रकली ओर ममता अंबे ।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे ।।

भीमा देवी विमला माता ।
कौशिकी देवी जग विख्याता ।।

हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा ।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ।।

सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया ।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया ।।

बना धर्म सिंह जो सवारी में आया ।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ।।

तभी मां ने महागौरी नाम पाया ।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया ।।

शनिवार को तेरी पूजा जो करता ।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ।।

भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो ।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो ।।

 




9. Maa Siddhidarti Aarti:-


maa siddhidatri


जय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता ।
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता ।।

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि ।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि ।।

कठिन काम सिद्ध करती हो तुम ।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम ।।

तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है ।
तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है ।।

रविवार को तेरा सुमिरन करे जो ।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो ।।

तू सब काज उसके करती है पूरे ।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे ।।

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया ।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया ।।

सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली ।
जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली ।।

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा ।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा ।।

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता ।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता ।।



नवरात्रि का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?


नवरात्रि ( NAVRATRI )का त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता है। उत्तर भारत में, देवी के नौ रूपों की नौ दिनों तक पूजा की जाती है। भक्त पूरे नौ दिनों तक उपवास करने का संकल्प लेते हैं। 

पहले दिन कलश की स्थापना की जाती है और फिर कुंवारी लड़कियों को अष्टमी या नवमी के दिन खिलाया जाता है। इन नौ दिनों में रामलीला का मंचन भी किया जाता है। 

वहीं, पश्चिम बंगाल में दुर्गा उत्सव नवरात्रि के अंतिम चार दिनों से मनाया जाता है, जो कि शास्त्री से लेकर नवमी तक मनाया जाता है। गुजरात और महाराष्ट्र में नवरात्रि में डांडिया रास और गरबा नृत्य मनाया जाता है। 

राजस्थान में नवरात्रि के दौरान, राजपूत अपनी कुल देवी को प्रसन्न करने के लिए पशु बलि भी देते हैं।

तमिलनाडु में, देवी के पदचिन्हों और मूर्तियों को घर में झांकी के रूप में स्थापित किया जाता है, जिसे गोलू या कोलू के नाम से जाना जाता है। 

सभी पड़ोसी और रिश्तेदार इस झांकी को देखने आते हैं। कर्नाटक में नवमी के दिन आयुध पूजा की जाती है।


Navaratri ka tyauhaar kaise manaaya jaata hai?
Navaraatri ka tyauhaar poore bhaarat mein manaaya jaata hai. uttar bhaarat mein, devee ke nau roopon kee nau dinon tak pooja kee jaatee hai.

bhakt poore nau dinon tak upavaas karane ka sankalp lete hain. pahale din kalash kee sthaapana kee jaatee hai aur phir kunvaaree ladakiyon ko ashtamee ya navamee ke din khilaaya jaata hai.

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नवरात्रि व्रत के नियम :-


अगर आप भी नवरात्रि व्रत रखने के इच्छुक हैं तो इन नियमों का पालन करना चाहिए।

  • नवरात्रि के पहले दिन, कलश की स्थापना करें और नौ दिनों तक उपवास करने का संकल्प लें।
  • पूरी श्रद्धा से मां की आराधना करें।
  • आप दिन में फल और दूध ले सकते हैं।
  • शाम को मां की आरती करें।
  • सभी को प्रसाद बांटें और फिर खुद स्वीकार करें।
  • फिर भोजन ग्रहण करें। हो सके तो इस दौरान खाना न खाएं, सिर्फ फलों का सेवन करें।
  • अष्टमी या नवमी के दिन नौ कन्याओं को भोजन कराएं। उन्हें उपहार और दक्षिणा दें। यदि संभव हो तो नवमी के दिन हवन के साथ उपवास करें।


Navaratri vrat ke niyam


agar aap bhi Navratri 2020 vrat rakhane ke ichchhuk hain toh in niyamon ka paalan karana chaahie.

  • Navaratri ke pahale din, kalash kee sthaapana karen aur nau dinon tak upavaas karane ka sankalp len.
  • Pooree shraddha se maan kee aaraadhana karen.
  • Aap din mein phal aur doodh le sakate hain.
  • Shaam ko maan kee aaratee karen.
  • Sabhee ko prasaad baanten aur phir khud sveekaar karen.
  • Phir bhojan grahan karen. ho sake to is dauraan khaana na khaen, sirph phalon ka sevan karen.
  • Ashtamee ya navamee ke din nau kanyaon ko bhojan karaen. unhen upahaar aur dakshina den.
    yadi sambhav ho to navamee ke din havan ke saath upavaas karen.